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CGMSC Scam: आईएएस भीम सिंह से ईओडब्लू में हुई 10 घंटे पूछताछ, सीजीएमएससी के 300 करोड़ के रीएजेंट घोटाले में जांच हुई तेज...

CGMSC Scam: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विधानसभा में कहा था कि भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त अफसर चाहे कितना भी बड़ा हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा, इसका असर दिखने लगा है। छत्तीसगढ़ की ईओडब्लू ने आज सचिव स्तर के आईएएस भीम सिंह को तलब कर करीब 10 घंटे तक पूछताछ की। 300 करोड़ के रीएजेंट खरीदी स्कैम में अभी तक डेढ़ दर्जन लोगों से पूछताछ हो चुकी है। पूछताछ कंप्लीट होने के बाद ईओडब्लू गिरफ्तारियां शुरू करेगी।

CGMSC Scam: IAS Bhim Singh: आईएएस भीम सिंह से ईओडब्लू में हुई 10 घंटे पूछताछ
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CGMSC Scam: IAS Bhim Singh

By Gopal Rao

CGMSC Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ के 300 करोड़ के रीएजेंट घोटाले में तत्कालीन डायरेक्टर हेल्थ भीम सिंह से आज ईओडब्लू में पूछताछ हुई। ईओडब्लू ने नोटिस भेजकर भीम सिंह को तलब किया था।

भीम सिंह 2008 बैच के आईएएस अफसर हैं। वे धमतरी, अंबिकापुर, राजनांदगांव, जांजगीर और रायगढ़ के कलेक्टर रह चुके हैं। पिछली सरकार में वे डायरेक्ट हेल्थ भी रहे।

पता चला है, ईओडब्लू के बुलावे पर आईएएस भीम सिंह आज सुबह 10 बजे शंकर नगर स्थित ईओडब्लू मुख्यालय में पहुंच गए थे। उसके बाद उनसे दिन भर ईओडब्लू की टीम ने रीएजेंट घोटाले के विभिन्न पहलुओं पर पूछताछ की। खबर लिखे जाने से पहले रात करीब आठ बजे तक उनसे पूछताछ चल रही थी।

इससे पहले ईओडब्लू ने खैरागढ़ कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा को भी तलब कर पूछताछ की थी। रीएजेंट खरीदी के दौरान चंद्रकांत सीजीएमससी के एमडी थे।

सीजीएमएससी के रीएजेंट खरीदी घोटाले में ईओडब्लू अभी तक दो आईएएस समेत डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इसके बाद ईओडब्लू आमने-सामने बिठा कर क्रॉस चेक करेगी। पूरे साक्ष्य एक़ित्रत करने के बाद ईओडब्लू गिरफ्तारियां तेज करेगी।

रीएजेंट घोटाले का नेचर को देखकर अफसरों का कहना है इसमें बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां होगी। सीजीएमएससी के अफसरों ने मोक्षित कारपोरेशन से मिलकर दो से तीन रुपए के रीएजेंट को तीन सौ में खरीदा था।

डायरेक्टर हेल्थ की भूमिका

सीजीएमएससी के साथ रीएजेंट घोटाले में स्वास्थ्य विभाग के संचालकों की भी बड़ी भूमिका के प्रमाण मिले हैं। 2023 में सीजीएमएससी को रीएजेंट की जरूरत और जगह न होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने रीएजेंट खरीदी का आर्डर दे दिया। हालांकि, हेल्थ डायरेक्ट्रेट के सूत्रों का कहना है कि रीएजेंट के लिए स्पेशिफिक कमेटी होती है, उसकी अनुशंसा पर सीजीएमएससी से रीएजेंट खरीदवाया गया।

मगर बिना जरूरत के स्वास्थ्य संचालक द्वारा रिएजेंट का आर्डर देना घोटाले में संलिप्तता की चुगली कर कर रहा है। जब अस्पतालों से रिएजेंट की डिमांड नहीं आई थी और न ही प्राइमरी और कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों में रीएजेंट रखने की कोई व्यवस्था थी, इसके बाद भी डायरेक्टर हेल्थ ने रीएजेंट खरीदी का आर्डर दे दिया।

सीजीएमएससी ने अगर रीएजेंट की खरीदी में अगर जल्दीबाजी नहीं दिखाई होती तो यह घोटाला दफन हो गया होता। दरअसल, डायरेक्टर हेल्थ ने करीब 175 करोड़ के रीएजेंट खरीदने का आर्डर सीजीएमएससी को दिया था मगर उसने 27 दिन के भीतर 350 करोड़ का रीएजेंट खरीद लिया। चूकि विधानसभ चुनाव सामने था, इसलिए सीजीएमएससी के अधिकारियों ने जल्दीबाजी दिखाई और खुद फंसे भी डायरेक्टर हेल्थ भी इसमें घिर गए हैं। आखिर, 50 परसेंट का आर्डर तो उन्होंने ही दिया। याने घोटाले का खेल डायरेक्ट्रेट से प्रारंभ हुआ।

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने लिया संज्ञान

पिछले साल बजट से पहले जनवरी में वित्त मंत्री सभी विभागों की मीटिंग ले रहे थे। इसी दौरान स्वास्थ्य विभाग का नंबर आया। डायरेक्टर हेल्थ ने सीजीएमएससी को रीएजेंट खरीदी का पेंडिंग भुगतान के लिए 400 करोड़ रुपए की जरूरत बताई। इस पर वित्त मंत्री ने क्वेरी की। ओपी चौधरी ने पूछा कि 27 दिन के भीतर इतनी बड़ी खरीदी कैसे हो गई? क्या इसके लिए डायरेक्टर हेल्थ ने डिमांड किया था? आईएएस पृष्ठभूमि क़े मंत्री को गड़बड़झाला भाँपने में देर नहीं लगी. उन्होंने इसकी जांच करने कहा।

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों को दवाइयां और मेडिकल इक्विमेंट मुहैया कराने के लिए गठित किए गए सीजीएमएससी में इस स्तर पर घोटाले होंगे, जानकार लोग हतप्रभ हैं। छत्तीसगढ़ के दो करोड़ लोग इन सरकारी अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं। इन अस्पतालों के लिए सीजीएमएससी को खरीदी एजेंसी बनाया गया है। हेल्थ के बजट का लगभग 90 परसेंट हिस्सा सीजीएमएससी खर्च करता है।

सीजीएमएससी के अफसरों ने मोक्षित कारपोरेशन को लाभ पहुंचाने के लिए नियम कायदों को ताक पर रख दिया। पूरा खेला हमर लेब के नाम से हुआ। हमर लेब भारत सरकार का स्कीम है, जिसमें 15वें वित्त आयोग से पैसा मिलता है।

2019 में स्वास्थ्य विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत रायपुर के आंबेडकर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन में हमर लैब की स्थापना की। उसके बाद 2021 में तय किया गया कि सभी जिला अस्पतालों के साथ सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विभिन्न पैथोलाजी वाले परीक्षण होंगे।

विधानसभा चुनाव 2023 के साल जून के बाद अचानक सीजीएमएससी के अफसर हरकत में आए और मोक्षित कारपोरेशन से 300 करोड़ से अधिक का रीएजेंट और जांच मशीनें खरीद लिया। अफसरों ने इससे पहले डायरेक्टर हेल्थ से यह भी नहीं पूछा कि रीएजेंट की कितनी जरूरत है और उसे रखने के लिए रेफ्रिजरेटर है या नहीं। रीएजेंट की सप्लाई के बाद कई जगहों पर रेफ्रिजरेटर खरीदा गया।

चूकि सीजीएमएससी के पास जितना पैसा था, उसे वह मोक्षित कारपोरेशन को पेमेंट कर दिया, बाकी के लिए डायरेक्टर हेल्थ से पैसा मांगा तब जाकर खरीदी के इस खेल का भंडाफोड़ हुआ।

डायरेक्टर हेल्थ ऋतुराज रघुवंशी ने इसके लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई। कमेटी ने अपने जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बिना जरूरत के करोड़ों के रीएजेंट खरीदी के लिए सीजीएमएससी को जिम्मेदार ठहराया। देखिए जांच रिपोर्ट...

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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